श्रीहरिकोटा4 मिनट पहले
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इसरो ने बताया कि तकनीकी दिक्कत के कारण मिशन की बुधवार की लॉन्चिंग टाली गई थी।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने आज प्रोबा-3 मिशन लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस मिशन को गुरुवार शाम 4:04 बजे बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से लॉन्च किया गया।
ये मिशन यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) का है। इसका उद्देश्य दो उपग्रहों: कोरोनोग्राफ और ऑकुल्टर के जरिए सूर्य के बाहरी वातावरण की स्टडी करना है।
इसरो इस मिशन को बुधवार शाम 4:08 बजे लॉन्च करने वाला था, लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण इसकी लॉन्चिंग को एक दिन टाल दिया था।

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस मिशन को शाम 4:04 बजे बजे लॉन्च किया गया।

मिशन का उद्देश्य दो उपग्रहों: कोरोनोग्राफ और ऑकुल्टर के जरिए सूर्य के बाहरी वातावरण की स्टडी करना है।
दोनों सैटेलाइट एक दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर रहेंगे दोनों सैटेलाइट पृथ्वी की अण्डाकार कक्षा में चक्कर लगाएंगे। पृथ्वी से इनकी सबसे ज्यादा दूसरी 60,530 Km और सबसे कम दूसरी लगभग 600 Km होगी। इस कक्षा में दोनों सैटेलाइट एक दूसरे से 150 मीटर की दूरी रखने में सक्षम होंगे और एक यूनिट की तरह काम करेंगे।
ऑकुल्टर सैटेलाइट में 1.4-मीटर की ऑकुलेटिंग डिस्क लगी है जिसे सूर्य की चमकदार डिस्क को ब्लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे कृत्रिम सूर्य ग्रहण होता है। इस छाया के भीतर कोरोनाग्राफ सैटेलाइट अपने टेलीस्कोप से सोलर कोरोना का निरीक्षण करेगा।
- प्रोबा-3 का प्राइमरी गोल स्पेस वेदर के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है, जिसमें सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन शामिल हैं।
- इस मिशन में दो सैटेलाइट के जरिए स्पेस एजेंसी अपनी एडवांस्ड फॉर्मेशन-फ्लाइंग टेक्नोलॉजीज को भी वैलिडेट करना चाहती है।
- प्रोबा-3 के जरिए वैज्ञानिक ये पता लगाना चाहते हैं कोरोना सूर्य की सतह से अधिक गर्म क्यों है और सौर हवा कैसे तेज होती है।

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