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सेहतनामा- 8 लाख करोड़ की पेनकिलर्स खा रहे लोग:  दर्द मिटाने वाली दवा ही बन गई दर्द, डॉक्टर से जानिए खतरे और बचाव के उपाय

सेहतनामा- 8 लाख करोड़ की पेनकिलर्स खा रहे लोग: दर्द मिटाने वाली दवा ही बन गई दर्द, डॉक्टर से जानिए खतरे और बचाव के उपाय


2 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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हमारे सिर में दर्द होता है तो हम एस्पिरिन खा लेते हैं। मसल्स में दर्द होता है तो पैरासिटामॉल खा लेते हैं। इसी तरह पेट या दांत में दर्द होने पर किसी मेडिकल स्टोर से पेन किलर लेकर खा लेते हैं। इससे फौरन राहत भी मिल जाती है। यही कारण है कि पेनकिलर्स पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली ओवर-द-काउंटर दवाओं में से एक हैं।

हम पेनकिलर्स को जितने सामान्य तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं, इनके साइड इफेक्ट्स उतने ही खतरनाक होते हैं। ये दवाएं खासतौर पर हमारे पेट और किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इनके अत्यधिक या अनुचित इस्तेमाल से पेट में अल्सर हो सकता है, लिवर डैमेज हो सकता है और किडनी भी डैमेज हो सकती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में जुलाई, 2021 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, ज्यादा पेनकिलर्स खाने या इन्हें लंबे समय तक खाने से लिवर और किडनी डैमेज होने का खतरा होता है। यहां तक कि इससे दिल की बीमारियों का भी जोखिम बढ़ता है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे पेनकिलर्स के साइड इफेक्ट्स की। साथ ही जानेंगे कि-

  • पेनकिलर्स का बाजार कितना बड़ा है?
  • पेनकिलर्स क्या हैं और किस तरह काम करते हैं?
  • इससे किडनी की सेहत क्यों बिगड़ रही है?

हर दिन बढ़ रहा है पेनकिलर्स का बाजार

दुनिया के हर तरह के बाजार पर ग्लोबल रिसर्च करने वाली कंपनी ‘मार्केट रिसर्च फ्यूचर’ के मुताबिक, पेनकिलर्स का बाजार दुनिया के सबसे तेजी से ग्रो कर रहे बाजारों में से एक है। बीते कुछ सालों में इनकी मांग जितनी तेजी से बढ़ी है, उसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि इनका बाजार साल 2024 से साल 2032 के बीच 7.2% के कंपाउंड ग्रोथ रेट से आगे बढ़ सकता है।

भारत में पेनकिलर्स का बाजार दुनिया के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि यह साल 2024 से साल 2029 के बीच 9.21% की कंपाउंड ग्रोथ रेट से आगे बढ़ सकता है।

पेनकिलर्स क्या हैं?

मेडिसिन की भाषा में पेनकिलर्स को एनेल्जेसिक (Analgesic) कहा जाता है। ये ऐसी दवाएं हैं, जो दर्द को कंट्रोल करने और बुखार कम करने में मदद करती हैं। इनमें कुछ दवाएं ऐसी भी हैं, जिनसे सूजन भी कम हो सकती है। इन्हें मुख्य तौर पर दो कैटेगरी में बांटा जाता है-

  • नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs)
  • ओपिओइड्स (Opioids)

ये दवाएं कैसे काम करती हैं?

  • NSAIDs सूजन कम करती हैं और शरीर को दर्द का एहसास कराने वाले संकेतों को ब्लॉक कर देती हैं। इसलिए इन्हें खाने के बाद दर्द का एहसास होना बंद हो जाता है।
  • ओपिओइड्स सीधे नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करते हैं। ये ब्रेन रिसेप्टर्स को ब्लॉक कर देते हैं। इससे ब्रेन तक यह मैसेज ही नहीं पहुंच पाता है कि शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो रहा है। इसलिए इन्हें खाने के बाद दर्द का एहसास होना बंद हो जाता है।

पेनकिलर्स से सेहत को क्या नुकसान हो रहा है?

डॉ. गणेश श्रीनिवास कहते हैं कि हमें सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि कोई भी दवा पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं होती है। चूंकि पेनकिलर्स हमारे ब्रेन रिसेप्टर्स और नर्वस सिस्टम के साथ पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं तो इसके नुकसान भी अधिक होते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि इनके क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

सबसे अधिक नुकसान किडनी को होता है

डॉ. गणेश श्रीनिवास कहते हैं कि पेनकिलर्स से सबसे अधिक नुकसान किडनी को होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पेनकिलर्स से किडनी की ओर ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इससे किडनी का कामकाज प्रभावित होता है। इसके अलावा इनसे किडनी के टिश्यूज भी डैमेज होते हैं। सबसे आखिर में इन दवाओं को छानकर शरीर से बाहर निकालने का काम भी किडनी का ही है। उस दौरान भी ये दवाएं किडनी को प्रभावित करती हैं। यही वजह है कि ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है।

किडनी फेल्योर के 5% मामले पेन किलर के कारण

अमेरिकन नेशनल किडनी फाउंडेशन के मुताबिक, पेनकिलर्स के अनुचित इस्तेमाल से किडनी सहित पूरे शरीर में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हर साल क्रॉनिक किडनी फेल्योर के 3% से 5% नए मामले इन पेनकिलर्स के अत्यधिक उपयोग के कारण होते हैं। अगर किसी को एक बार किडनी की कोई बीमारी हो जाती है तो इन दवाओं का निरंतर प्रयोग कंडीशन को और बदतर बना देता है।

पेनकिलर्स दुश्मन नहीं हैं

डॉ. गणेश श्रीनिवास कहते हैं कि पेनकिलर्स हमारे दर्द को कम करने और राहत देने के लिए बनी हैं। अगर इनको डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मुताबिक सावधानी से खाया जाए तो इससे होने वाले नुकसान कम किए जा सकते हैं।

डॉ. गणेश श्रीनिवास के बताए ये इंस्ट्रक्शन फॉलो करके पेनकिलर्स के साइड इफेक्ट्स कम किए जा सकते हैं:

डोज संबंधी इंस्ट्रक्शन फॉलो करें: अगर पेन किलर खा रहे हैं तो हमेशा प्रिस्क्राइब्ड या रिकमेंडेड डोज का पालन करें। अगर आपको लगातार दर्द की समस्या रहती है तो खुद से दवाएं लेने की बजाय डॉक्टर से कंसल्ट करें।

कम-से-कम इस्तेमाल करें: पेनकिलर्स का उपयोग जितना हो सके, कम-से-कम करें। अगर लगातार दर्द बना रहता है तो डॉक्टर से सलाह लेकर उसकी मूल समस्या का इलाज करवाएं।

इनका विकल्प खोजें: दर्द के कारण के आधार पर इसे कम करने के कई विकल्प हो सकते हैं। इसमें किसी तरह की दवा नहीं लेनी पड़ती है। फिजिकल थेरेपी, एक्यूपंक्चर या माइंडफुलनेस जैसी चीजें सामान्य दर्द में राहत प्रदान कर सकती हैं।

नियमित जांच करवाएं: अगर आप किसी मेडिकल या फिजिकल कंडीशन के कारण नियमित रूप से पेनकिलर्स खाते हैं तो पेट और किडनी की नियमित रूप से जांच करवाते रहें। इससे यह पता चलेगा कि ये दवाएं किडनी और पेट को कितना प्रभावित कर रही हैं। उसके मुताबिक डॉक्टर इनके डोज में बदलाव कर सकते हैं।

शराब से दूरी बनाएं: अगर पेनकिलर्स के साथ कोई शराब पी रहा है तो इससे पेट के अल्सर और किडनी खराब होने का खतरा बढ़ सकता है। इससे लिवर डैमेज होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए इस दौरान शराब से दूरी बनाएं।

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