समस्त बाल कल्याण अधिकारी तथा इंस्पेक्टर किशोर अपचारियो के संबंध में किशोर न्याय अधिनियम पर विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन
आज दिनांक 17.12.2024 को पुलिस लाईन जनपद सिद्धार्थनगर के सभाकक्ष में समस्त बाल कल्याण अधिकारी तथा इंस्पेक्टर क्राईम के मध्य जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किशोर अपचारियों के संबंध में किशोर न्याय अधिनियम 2015, उक्त अधिनियम के तहत बनाये गये नियम व पाक्सो अधिनियम तथा बाल कल्याण अधिकारियों के कर्तव्यों से संबंधित एक विशेश जागरूकता शिविर एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यशाला में डा0 ओमकार नाथ तिवारी सेवानिवृत्त प्रोफेसर सेंटर ड्यूज कालेज गोरखपुर व वर्तमान में प्रधानाचार्य ला् फैकेल्टी जी०एल०ए० विश्वविद्यालय मथुरा द्वारा बालक शब्द की परिभाषा से लेकर बाल आपचारियों की परिभाषा किषोर न्याय अधिनियम में वर्णित विभिन्न प्रकार के अपराधों के वर्गीकरण तथा किषोर न्याय बोर्ड के गठन, किषोर अपचारियों के संदर्भ में कब प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जानी है कब नही, किषोर अपचारी से संबंधित सोशल बैक ग्राउण्ड रिपोर्ट तैयार करने व जिला परिवीक्षा अधिकारी द्वारा अपचारी के सोशल इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट तैयार कराने से लेकर किषोर अपचारियों को कब थाने पर ही जमानत प्रदान कर दी जायेगी व किन परिस्थितियों में उन्हें बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तथा किषोर अपचारियों को जमानत प्रदान किये जाने संबंधी उपबंध व किषोर अपचारियों को थाने के लाकप पर न रखे जाने संबंधी नियमों की विस्तृत जानकारी दी गयी तथा कार्यशाला में उपस्थित समस्त पुलिस अधिकारियों से कार्यशाला पर किषोर अपचारियों पर आने वाली चुनौतियों के संदर्भ में विमर्ष किया गया व उसके हल बताये गये।
उक्त कार्यशाला में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चाइल्ड इन नीड आफ केयर प्रोटेक्षन के रूप में पीड़ित बच्चों के संबंध में किषोर न्याय अधिनियम में प्रदत्त उपबंधों की जानकारी देते हुए उपस्थित पुलिस बल को यह बताया गया कि पीड़ित बच्चें जिन्हें सुरक्षा व देखभाल की आवष्यकता है को बोर्ड के समक्ष नहीं बल्कि बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये तथा पाक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों में भी यह पुलिस का कर्तव्य है कि अपराध की सूचना मिलने पर अविलम्ब बाल कल्याण समिति को दर्ज कराये व पीड़ित की सूचना दे। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा यह भी बताया गया कि प्रत्येक किषोर अपचारी व पीड़ित बालक मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकारी है व बाल अपचारियों को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किये जाने से लेकर सम्पूर्ण जांच की कार्यवाही तक मुफ्त विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार हासिल है जिसके लिए उनकी ओर से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है व बाल कल्याण अधिकारी इस संबंध में प्राधिकरण को सूचित कर सकते हैं तथा इस हेतु किषोर न्याय बोर्ड में पराविधिक स्वयं सेवक की नियुक्ति भी की गयी है।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका (सिविल) नंबर 1234@2017 Society for Enlightment and Voluntary Action & Anr. Vs. Union of India & others के मामलों में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 18 अक्टूबर 2024 के संबंध में District Protection Unit के अहम किरदार को रेखांकित करते हुए उपस्थित पुलिस अधिकारियों को खासकर जनपद के ग्रामीण इलाके में बाल विवाह को रोके जाने हेतु विषेश प्रयास करने तथा ऐसी बालिकाओं को जिसका बाल विवाह कराया गया है यदि वह उक्त विवाह से बाहर आना चाहती है तो उन्हें उचित विधिक व पुलिसीय सहायता उपलब्ध कराने तथा उनकी षिक्षा व उनकी आर्थिक स्थिति को संबल प्रदान करने हेतु विषेश प्रयास किये जाने हेतु प्रेरित किया गया।
कार्यशाला में बालकों के संदर्भ में विषेश पुलिस ईकाई के कर्तव्यों व बाल अपचारियों के प्रति पुलिस के कर्तव्यों को रेखांकित करते हुए गैर सरकारी संगठन मानव सेवा संस्थान के निदेशक श्री राजेश मणि द्वारा अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया गया तथा विषेश जुबेनाईल पुलिस यूनिट व एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की प्रत्येक माह बैठक कराये जाने की आवष्यकता पर बल दिया गया।
कार्यशाला के अन्त में चीफ लीगल एड डिफेंस काउन्सिल सिस्टम श्री अष्वनी कुमार मिश्र एडवोकेट द्वारा उपस्थित पुलिस बल को किषोर न्याय अधिनियम के विभिन्न उपबंधों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बाल अपचारियों के अधिकार उनके सुधारात्मक पहलू, बाल अपचारियों की आयु निर्धारण संबंधी उपबंध उसमें आने वाली कठिनाईयों आदि कई विशयों पर उद्बोधन दिया गया व उपस्थित पुलिस बल के प्रष्नों का निवारण किया गया।
कार्यशाला के अन्त में क्षेत्राधिकारी सदर श्री अरूण कान्त सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया