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पुण्यतिथि पर याद किए गए कर्मवीर सत्यदेव:  कुलपति बोलीं- शिक्षा सदियों से एक ऐसी दक्षता है जो राजा चुनने में मदद करती है – Ghazipur News

पुण्यतिथि पर याद किए गए कर्मवीर सत्यदेव: कुलपति बोलीं- शिक्षा सदियों से एक ऐसी दक्षता है जो राजा चुनने में मदद करती है – Ghazipur News


गाजीपुर में सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को सम्पन्न हुई। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की कुलपति प्रोफेसर वंदना सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की,

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मंच पर विराजमान प्रमुख अतिथियों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमल नयन पांडे, बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर प्रभाकर सिंह, आध्यात्मिक मार्गदर्शक योगी आनंद, और लंदन से आए डॉ. प्रदीप सिंह सहित कई प्रतिष्ठित विद्वान शामिल थे। सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया गया।

विद्वानों ने रखे विचार

डॉ. संतान कुमार ने कहा, “देश की सभ्यता और संस्कृति का विकास उसके विचारों और भाषा कौशल से होता है। यही स्वस्थ लोकतंत्र की नींव है।” डॉ. निरंजन ने शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैकाले की नीति भारत में ऐसे वर्ग को तैयार करना चाहती थी जो भारतीय दिखे, लेकिन उसकी सोच ब्रिटिश हो।”

मुख्य अतिथि प्रोफेसर वांगचुक दोरजी नेगी ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा, “विद्यार्थी विद्यालय जाते समय अपने माता-पिता को याद करें, इससे उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व में निखार आएगा।” वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर वंदना सिंह ने कहा, “शिक्षा वह ताकत है जो किसी भी राष्ट्र की नींव मजबूत करती है और अच्छे नेतृत्व का चयन सुनिश्चित करती है।”

समाजसेवा और सम्मान

कार्यक्रम के दौरान सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह ने शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया और बनवासी समाज के लोगों को कंबल वितरित किए। इसके साथ ही समाजसेवियों का सम्मान कर समाज में उनके योगदान को सराहा गया।

संगोष्ठी का संदेश

संगोष्ठी में यह संदेश दिया गया कि शिक्षा, स्वास्थ्य और चरित्र का आपसी तालमेल लोकतंत्र की आधारशिला है। योगी आनंद ने कहा, “जहां अच्छे स्वास्थ्य और चरित्र का वास होता है, वहां समृद्ध लोकतंत्र का निर्माण होता है।” इस आयोजन ने कर्मवीर सत्यदेव सिंह के सामाजिक और शैक्षिक योगदान को यादगार बनाने के साथ समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का कार्य किया।



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