भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी। इसकी भनक भोपाल पुलिस को तब लगी जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी। कवर देने कटारा हिल्स पुलिस फैक्ट्री के बाहर तैनात थी। शनिवार दोपहर 12 बजे
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ड्रग्स बनाने के केमिकल को तोलना शुरू किया तो मात्रा 907 किलो तक पहुंच गई। यह कार्रवाई रात करीब नौ बजे तक चलती रही। बरामद ड्रग्स की कीमत 1814.18 करोड़ रुपए बताई जा रही है। पुलिस की दबिश के दौरान फैक्ट्री में अमित प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी निवासी सुल्तानाबाद भोपाल और सान्याल बाने निवासी नासिक महाराष्ट्र सहित दो मजदूर मौजूद थे।
हालांकि मजदूरों को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि फैक्ट्री में केमिकल के नाम पर ड्रग्स तैयार की जाती है।
एमएससी ग्रेजुएट है आरोपी प्रकाश चंद्र
आरोपी प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी एमएससी ग्रेजुएट है। पूर्व में प्राइवेट जॉब करता था। बाद में दो बार स्वयं के अलग-अलग कारोबाार शुरू किए। दोनों बार बिजनेस में सक्सेस नहीं मिला। पूछताछ में पहले आरोपी ने बताया कि उसे इस बात का इल्म (जानकारी ) नहीं है कि उसकी फैक्ट्री में तैयार होने वाला केमिकल एमडी नाम के खतरनाक नशे के लिए इस्तमाल करने में काम आता है। एटीएस ने सख्ती से पूछताछ की तब आरोपी ने बताया कि आरोपी सान्याल से उसका पुराना परिचय था। एक दोस्त के माध्यम से उसकी मुंबई में पहली बार सान्याल से मुलाकात हुई। इसके बाद कई बार दोनों नासिक में भी मिले। पांच साल पहले एनडीपीएस एक्ट के मामले में सान्याल को पांच साल की सजा हुई। आर्थर रोड जेल मुंबई में उसने पांच साल की सजा काटी है।
फैक्ट्री में छापे के बाद पुलिस हिरासत में आरोपी।
जेल में तैयार किया नेटर्क
सजा के दौरान सान्याल की मुंबई के आर्थर जेल में बंद विभिन्न प्रदेश के ड्रग तस्करों से मुलाकात हुई। इन तस्करों में तुशार गायल नाम का प्रख्यात तस्कर भी शामिल था। जो दिल्ली का रहने वाला था, लेकिन पांजाब, हरियाणा, नेपाल, गुजरात में उसके कई ठिकाने थे। यहीं से सान्याल को एमडी की तस्करी की राह मिली। इससे पहले वह कोकिन और चरस जैसे मादक पदार्थ बेचता रहा था।
जेल में रहते हुए प्रकाश से फैक्ट्री शुरू कराई
प्रकाश कोई खास काम नहीं कर रहा था। उसकी हसरतें बड़ी थीं, हाई प्रोफाइल लाइफ स्टाइल जीने का शौकीन था। इसी का फायदा उठाते हुए सान्याल ने जेल में रहते हुए अपने गुर्गे केस के तीसरे आरोपी 32 वर्षीय हरीष अंजाना को प्रकाश के पास पहुंचाया। हरीष और सान्याल भी आर्थर रोड जेल में साथ बंद रहे हैं। हरीष ने ही प्रकाशचंद्र को शॉट कट से अमीर बनने का सपना दिखाया। सान्याल का मैसेज के तहत उसे भोपाल के आउटर में फैक्ट्री की जमीन तलाशने को कहा। प्रकाश ने बगरौदा में जयदीप सिंह की फैक्ट्री को किराए पर लिया। इस फैक्ट्री का अलाटमेंट ऐके सिंह नाम के व्यक्ति को था। जिसे बाद में जयदीप ने खरीद लिया था।
फर्नीचर कारोबार के नाम पर ली फैक्ट्री
आरोपी ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पालिश भी बनाया जाएगा। फैक्ट्री शुरू करने के एडवांस और किराए से लेकर सामान मंगाने तक का संपूर्ण इंवेस्टमेंट सान्याल ने किया था। हरीश ही सान्याल के इशारे पर हवाला से आई रकम को प्रकाश तक पहुंचाता था। जब इसमें ड्रग बनना शुरू हो गई तब हरीश ही इस ड्रग को अलग-अलग तरीकों से मंदसौर फिर वहां के रास्ते अन्य ग्राहकों तक भेजा करता था। इस काम के लिए उसे हर खैंप से कमाई रकम का 10 प्रतिशत हिस्सा मिलता था। सान्याल जेल से रिहाई के बाद प्रकाश के साथ ही फैक्ट्री का संचालन करने लगा था। भोपाल में अकसर आना जाना करता था और होटल में ठहरता था।

ड्रग्स हासिल करने के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल
आरोपी अंतरर्राष्ट्रीय ड्रग तस्कर गिरोह से जुड़े हैं। पिछीले दिनों दिल्ली में पकड़ी गई कोकीन की फैक्ट्री के का संचालन भी इसी गिरोह से जुड़ा तुषार गोयल करता पर्दे के पीछे रहकर करता था। गुजरात एटीएस और एनसीबी इस गिरोह से जुड़े तुषार गोयल, जितेंद्र पाल सिंह उर्फ जस्सी,हिमांशु कुमार, औरंगजेब सिद्दीकी और भरत कुमार जैन को पहले ही पकड़ चुकी है। इन्हीं आरोपियों से पूछताछ में सान्याल द्वारा भोपाल में ड्रग की फैक्ट्री चलाने की जानकारी एनसीबी को मिली थी। सभी आरोपी विदेशों तक ड्रग की तस्करी करने में माहिर हैं। एटीएस की पूछताछ में आरोपियों ने UK और दुबई तक ड्रग की खौंप भेजने की योजना की बात स्वीकार की है।
जानिए कैसे होता था फैक्ट्री में काम
डीएसपी, एटीएस गुजरात एस.एल. चौधरी ने बताया- यह सूचना मिली थी कि भोपाल का अमित चतुर्वेदी और नासिक- महाराष्ट्र का सान्याल बाने भोपाल के बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री की आड़ में मादक पदार्थ मेफेड्रोन (एमडी) के अवैध निर्माण और बिक्री में शामिल हैं। जिसके बाद गुजरात एटीएस के सीनियर अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
फैक्ट्री में तलाशी के दौरान कुल 907.09 किलोग्राम मेफेड्रोन (ठोस और तरल दोनों रूप में) मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी अनुमानित कीमत करीब 1814.18 करोड़ रुपए है।

ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी हरीश आंजना (उम्र 32 वर्ष) को भी गिरफ्तार किया है।
शनिवार को की गई थी रेड, ड्रग्स बनाने की सामग्री जब्त
छापा मार कार्रवाई 5 अक्टूबर को की गई थी। इस दौरान पता चला कि यहां मादक दवा मेफेड्रोन (एमडी) बनाने का काम चल रहा था। इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाला करीब 5 हजार किलोग्राम का कच्चा माल और उपकरण भी मिले। इनमें ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क, हीटर और अन्य उपकरण शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया गया है।
दोनों आरोपी कोर्ट में पेश, 8 दिन की रिमांड पर सौंपा गया
गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए गुजरात एटीएस ने रविवार शाम को उन्हें भोपाल न्यायालय में पेश किया। पुलिस की टीम दोनों आरोपियों को रविवार को ही गुजरात ले गई। पुलिस को आरोपियों की 8 दिन की रिमांड मिली है।
ड्रग केस में तीसरा आरोपी भी गिरफ्तार
ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी हरीश आंजना (उम्र 32 वर्ष) को भी गिरफ्तार किया है। हरीश आंजना मंदसौर जिले का रहने वाला है। वह जिले का कुख्यात तस्कर है। उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में पूर्व में भी कई बार कार्रवाई की जा चुकी हैं।

जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ हुआ, उसके मालिकों के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
रोजाना तैयार कर रहे थे 25 किलो ड्रग्स
गुजरात में पकड़ाए कुछ ड्रग्स डीलर्स से गुजरात एटीएस को इस फैक्ट्री की जानकारी मिली थी। इसके बाद से ही गुजरात एटीएस डेढ़ महीने से फैक्ट्री पर नजर रख रखी थी। जानकारी पक्की होने पर एटीएस ने दिल्ली एनसीबी से संपर्क किया। इसके बाद संयुक्त रूप से कार्रवाई की गई।
बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री में आरोपी पिछले छह महीने से रोजाना 25 किलो ड्रग्स तैयार कर रहे थे। आरोपियों ने फैक्ट्री 6 महीने पहले किराए पर ली थी। फैक्ट्री के मालिक का नाम जयदीप सिंह है। 8 साल पहले फैक्ट्री को निर्माण के लिए लीज पर लिया था। फर्नीचर निर्माण के नाम पर इस जमीन को लिया गया था।
फैक्ट्री के मालिकों पर भी केस दर्ज
भोपाल में गुजरात एटीएस ने जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया, उस फैक्ट्री के मालिकों एस.के.सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
जिस प्लाट पर टीन शेड में संचालित फैक्ट्री चल रही थी, वो औद्योगिक प्लाट साल 2017-18 में उद्योग विभाग ने अलॉट किया था। जो साल 2022 में बनकर तैयार हुए। एमपीआईडीसी के डेटा के अनुसार यह प्लाट मेसर्स वास्तुकार प्रोप्राइटर के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसका मालिक जयदीप सिंह मूल रूप से है। दो साल बाद यह प्लाट भेल के रिटायर्ड कर्मचारी एस के सिंह निवासी भोपाल को बेच दिया गया था, उन्होंने 6 महीने पहले अमित चतुर्वेदी निवासी कोटरा सुल्तानाबाद को इसे किराए पर दे दिया था। जिसकी सूचना प्रशासन और संबंधित पुलिस को नहीं दी गई। जो नियमों का उल्लंघन है। जिस पर कटारा हिल्स थाना में केस दर्ज किया गया है।