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वॉशिंगटन डीसी7 घंटे पहले
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अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों में सबसे ज्यादा 12 भारतीय हैं।
भारतीय प्रवासी अमेरिका को और ज्यादा अमीर बना रहे हैं। वहां रहने वाले विदेशी मूल के अरबपतियों में सबसे ज्यादा संख्या अब भारतीयों की है। फोर्ब्स ने अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इजराइल, चीन और ताइवान को पीछे छोड़ते हुए भारत 12 अरबपतियों के साथ टॉप पर है।
अमेरिका में रहने वाले 51 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में 250-300 बिलियन डॉलर करीब ₹25 लाख करोड़ टैक्स के रूप में देते हैं। ये अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% है। अमेरिका में सबसे अमीर भारतीय जय चौधरी हैं। इनकी नेटवर्थ 17.9 बिलियन डॉलर यानी 150 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।
वहीं इस लिस्ट में दक्षिण अफ्रीका से आकर अमेरिका में बसे इलॉन मस्क पहले नंबर पर हैं। इनकी नेटवर्थ 33.82 लाख करोड़ रुपए है। दूसरे नंबर पर 11.97 लाख करोड़ की नेटवर्थ के साथ रूस के सर्गी ब्रिन हैं। तीसरे नंबर पर ताइवान के जेन्सेन हुआंग हैं। इनकी नेटवर्थ 12.24 लाख करोड़ रुपए है।

अमेरिका में रहने वाले तीन सबसे अमीर भारतीय प्रवासी
1. जय चौधरी: हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में सफल बिजनेसमैन बने हैं। उन्होंने आईआईटी बीएचयू वाराणसी से पढ़ाई की और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी से कई मास्टर्स डिग्री हासिल की।
1980 में अमेरिका आए जय चौधरी ने कई टेक्नोलॉजी कंपनियां शुरू कीं, जिनमें से सबसे प्रमुख है साइबर सिक्योरिटी कंपनी जस्कैलेर। जस्कैलेर के सीईओ और चेयरमैन के रूप में उन्होंने कंपनी को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।

जय चौधरी 1980 में अमेरिका में शिफ्ट हुए थे।
2. विनोद खोसला: पुणे, भारत के रहने वाले हैं और वे एक सफल उद्यमी व वेंचर कैपिटलिस्ट हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स व स्टैनफोर्ड से एमबीए किया।
1982 में उन्होंने सन माइक्रोसिस्टम्स की स्थापना की, जिसने कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में कई बदलाव किए। बाद में उन्होंने वेंचर कैपिटल फर्म खोसला वेंचर्स शुरू की, जो टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एआई स्टार्टअप्स में निवेश करती है।

विनोद खोसला 1982 में पुणे से अमेरिका गए थे।
3. राकेश गंगवाल: कोलकाता के रहने वाले हैं और वे इंडिगो एयरलाइंस के सह-संस्थापक हैं, जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है। उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया।
उन्होंने अपना एविएशन करियर यूनाइटेड एयरलाइंस से शुरू किया और बाद में यूएस एयरवेज के सीईओ और चेयरमैन भी रहे। 2006 में उन्होंने राहुल भाटिया के साथ मिलकर इंडिगो की स्थापना की, जिसने तेजी से सफलता हासिल की। गंगवाल ने आईआईटी कानपुर को कई बड़े दान किए हैं।

राकेश गंगवाल ने 2006 में इंडिगो की स्थापना की थी।
अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% दे रहे भारतीय
- अमेरिका में रहने वाली 51 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में 250-300 बिलियन डॉलर टैक्स के रूप में देते हैं। ये अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% है।
- भारतीय इमिग्रेंट्स की औसत सालाना आमदनी करीब 1.4 करोड़ रुपए है। ये प्रोफेशनल्स और बिजनेस लीडर्स अमेरिका में 1-2 करोड़ जॉब्स भी डायरेक्ट-इनडायरेक्ट तरीके से पैदा करते हैं।
प्रवासियों की कमाई भारत के लिए फायदेमंद
भारतीय प्रवासियों की कमाई सिर्फ अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी फायदेमंद है। 2022 में भारतीय प्रवासियों ने 111 बिलियन डॉलर (लगभग 9.5 लाख करोड़ रुपए) भारत भेजे, जो किसी भी देश से सबसे ज्यादा है। यह पैसा भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। साथ ही, ये प्रवासी भारत में निवेश भी कर रहे हैं, जिससे स्टार्टअप और बिजनेस को बढ़ावा मिल रहा है।
अमेरिका में 125 विदेशी मूल के अरबपति नागरिक
अमेरिका में इस वक्त कुल 125 विदेशी मूल के अरबपति रहते हैं, जो 43 देशों से आए हैं। ये अरबपति मिलकर अमेरिका के कुल अरबपतियों की संपत्ति में 18% हिस्सेदारी रखते हैं। इसकी वैल्यू करीब $1.3 ट्रिलियन यानी 111 लाख करोड़ है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा 12 भारतीयों के बाद इजराइल और ताइवान के 11-11 अरबपति हैं। चीन के 8 अरबपति इस लिस्ट में शामिल हैं।

टेक्नोलॉजी और फाइनेंस सेक्टर के सबसे ज्यादा लोग शामिल
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 93% इमिग्रेंट अरबपति सेल्फ-मेड हैं, यानी उन्होंने अपनी मेहनत से यह मुकाम पाया है। इनमें से दो-तिहाई टेक्नोलॉजी और फाइनेंस सेक्टर से जुड़े हैं। इस बार लिस्ट में सुंदर पिचाई, सत्य नाडेला और निकेश अरोरा जैसे नए नाम शामिल हुए हैं। ये अमेरिका की बड़ी कंपनियों के सीईओ हैं।
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