इंफाल30 मिनट पहलेलेखक: एम मुबासिर राजी
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मणिपुर में भाजपा एक बार फिर से मैतेई कम्युनिटी के नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। दैनिक भास्कर को सूत्रों ने बताया कि सीएम की रेस में तीन नाम आगे चल रहे हैं। तीनों मैतेई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी मैतेई समुदाय के हैं। हालांकि कुकी के साथ भाजपा के कई मैतेई विधायक अब उनके खिलाफ हैं।
मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच 3 मई 2023 से हिंसा हो रही है। बीरेन सिंह पर हिंसा के दौरान मैतेइयों को कुकी के खिलाफ उकसाने के आरोप हैं। 9 फरवरी को उन्होंने CM पद से इस्तीफा दे दिया। नए सीएम के नाम पर विधायकों में सहमति नहीं बनने पर केंद्र ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
राज्य में अभी विधानसभा भंग नहीं हुई है। ऐसे में भाजपा 10 मार्च से पहले सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। 60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा में भाजपा के 37 विधायक हैं। इनमें 27 मैतेई, 6 कुकी, 3 नगा और 1 मुस्लिम हैं। NDA के कुल 42 विधायक हैं। इसमें नेशनल पीपल्स फ्रंट (NPF) के भी 5 विधायक शामिल हैं।

मैतेई भाजपा विधायक बोले- तीनों में सत्यब्रत पहली पसंद बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मैतेई गुट के भाजपा विधायक दो खेमे में बंट गए हैं। एक गुट बीरेन सिंह को फिर से सीएम बनाने के समर्थन में है तो दूसरा इसके खिलाफ। एंटी बीरेन कैंप के कई भाजपा विधायक इंफाल के होटलों में डेरा डाले हुए हैं।
इनमें संगाई कॉन्टिनेंटल होटल में रुके एक मैतेई भाजपा विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर भास्कर को बताया, ‘ज्यादातर विधायकों के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर थोकचोम सत्यब्रत सिंह, युमनाम खेमचंद सिंह और थोकचोम राधेश्याम सिंह के नाम पर चर्चा हो रही है। 22 विधायक इनके समर्थन में हैं।’
‘तीनों में टी सत्यब्रत हमारी पहली पसंद हैं। अगर आलाकमान खेमचंद सिंह और राधेश्याम सिंह को मुख्यमंत्री बनाएगी, तो भी हमें मंजूर होगा। इनके अलावा किसी और का नाम सामने आया, तो हम विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे।’
क्या बीरेन सिंह की वापसी संभव है? इसके जवाब में विधायक ने कहा, ‘हम उनका समर्थन कभी नहीं करेंगे। हम उनकी तानाशाही और मनमानी के खिलाफ हैं। हमने ही उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कभी भी अपने विधायकों पर भरोसा नहीं किया। गृह, वित्त, IT जैसे सभी बड़े मंत्रालयों का बंटवारा नहीं किया। सब विभाग अपने पास रखे। ज्यादातर मैतेई विधायक उनसे नाराज हैं।’
बीरेन के करीबी बोले- सभी विधायकों में CM बनने की होड़ बीरेन सिंह के करीबी और भाजपा विधायक एल सुसींद्रो मैतेई ने बताया, ‘सभी विधायकों में मुख्यमंत्री बनने का कॉम्पिटिशन चल रहा है। सबको लगता है कि वह मुख्यमंत्री बनने के लायक है। कोई यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी एक ही है। सरकार तभी बनेगी, जब लोग बलिदान देने के लिए तैयार होंगे।’
‘पूर्व सीएम बीरेन सिंह तो हमेशा राज्य में शांति चाहते थे, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर बंदूक और बम हमले की घटनाओं को बढ़ावा देते रहे। बीरेन सिंह को लगा होगा इस्तीफा देने से ही सब ठीक हो पाएगा, इसलिए उन्होंने पद छोड़ दिया।’

’10 मार्च से पहले हो सकता है नए CM के नाम का ऐलान’ मणिपुर राजनीति और हिंसा मामलों पर लंबे समय से रिपोर्टिंग करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट एन सत्यजीत बताते हैं, ‘भाजपा सरकार बार-बार कह रही है कि मणिपुर विधानसभा अभी सस्पेंडेड एनिमेशन में है। यानी विधानसभा भंग नहीं हुई है। इससे दोबारा चुनाव की संभावना कम है।’
’10 मार्च से संसद सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश करेगा। इसलिए भाजपा चाहेगी कि वह 10 मार्च से पहले नया सीएम ढूंढकर सरकार बना लें। हालांकि तब तक कुछ नहीं हुआ तो राज्य में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने की संभावना है।’
एक्सपर्ट बोले- चुनाव के बिना सरकार बनाने की संभावना कम मणिपुर स्पीकर ट्रिब्यूनल में विधायकों की अयोग्यता से जुड़े एक मामले पर केस लड़ रहे मणिपुर हाईकोर्ट के वकील एन भूपेंद्र मैतेई कहते हैं, ‘राज्यपाल से मिलकर कोई भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। हालांकि सदन में बहुमत साबित करना होगा। उसके लिए राज्यपाल को सदन बुलाना पड़ेगा, जिसकी संभावना न के बराबर है।
ऐसा क्यों? इस पर भूपेंद्र कहते हैं, ‘संविधान के अनुच्छेद 174(1) के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता है। मणिपुर में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त 2024 को पूरा हुआ था और अगला सत्र छह महीने के अंदर बुलाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।’

’10 फरवरी से बजट सत्र शुरू होने से पहले ही बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। छह महीने के भीतर अगला सत्र नहीं बुलाने पर किसी विधानसभा को भंग माना जाता है। ऐसा हुआ तो नए चुनाव के बिना सरकार बनाने की संभावना कम है। हालांकि मणिपुर के केस में एक अपवाद हो सकता है। ऐसा हुआ तो बिना चुनाव के भाजपा सरकार में वापसी कर सकती है।

JDU नेता बोले- CM का नाम तय हुआ तो सरकार बनने में देर नहीं जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सीनियर नेता और पूर्व चीफ सेक्रेटरी ओइनम नबकिशोर सिंह ने कहते हैं, ‘CM के नाम पर भाजपा विधायकों में आम सहमति नहीं बन पा रही है। बीरेन सिंह के बाद 32 विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जा सकता था और सरकार चल सकती थी। अभी भी बहुत कुछ नहीं बिगड़ा है। भाजपा चाहेगी तो कभी भी सरकार बन सकती है।’

मणिपुर में मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए 24 फरवरी को इंफाल में भाजपा के 32 विधायकों की बैठक बुलाई गई। हालांकि, कई विधायकों के शहर से बाहर होने का हवाला देते हुए मीटिंग टाल दी गई। अगली बैठक कब होगी, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
NPP नेता बोले- मैतेई CM बना तो फिर हिंसा होगी नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व DGP युमनाम जॉयकुमार ने कहा, ‘पूर्व सीएम बीरेन सिंह पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है। उनके अपने विधायक उनके साथ नहीं हैं। उनकी जगह भाजपा किसी को भी मुख्यमंत्री बनाए, हम समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
‘बीरेन सिंह चाहते तो काफी पहले ही हिंसा को काबू में कर सकते थे, लेकिन मैतेई होने के कारण उनका झुकाव एक समुदाय की तरफ था। कुकी को लगता था कि बीरेन सिंह मैतेइयों का समर्थन करते हैं। जब कोई सरकार किसी समुदाय की तरफ झुकी हुई दिखने लगती है, तो हालात सामान्य नहीं हो सकते हैं।’

क्या राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला सही है? जॉयकुमार ने कहा, ‘हम राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले के समर्थन में है। इससे राज्य में शांति बहाल करने में मदद मिलेगी। राज्य में काफी लंबे समय से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही थी। 22 महीने से जिस तरह की स्थिति है, उससे निपटने का यही तरीका ठीक है।’
मणिपुर में NPP के 7 विधायक हैं। NDA सरकार में NPF के बाद NPP दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी थी। हालांकि नवंबर, 2024 में पार्टी ने हिंसा रोकने में तत्कालीन बीरेन सरकार की विफलता का हवाला देते हुए गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया था।

राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 100 से ज्यादा उग्रवादी गिरफ्तार राजनीतिक संकट के बीच मणिपुर में हिंसा के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को सभी समुदायों के उग्रवादियों से अगले सात दिनों के भीतर लूटे गए या अवैध रूप से रखे हथियारों और गोला-बारूद पुलिस को लौटाने का अल्टीमेटम दिया था।
तब से अब तक 250 से ज्यादा हथियार जब्त हुए हैं, जबकि 100 से ज्यादा उग्रवादी भी गिरफ्तार हुए हैं, जिनमें कुकी और मैतेई दोनों हैं। इनके पास से एके-47, एके-56 राइफल समेत कई हथियार भी मिले हैं। राज्यपाल का अल्टीमेटम 28 फरवरी को खत्म होगा। उसके बाद ग्राउंड लेवल पर सख्त ऑपरेशन शुरू करने की तैयारी है।

13 फरवरी के बाद से मणिपुर में लगातार हथियार जब्त किए जा रहे हैं।
अब सेना, असम राइफल्स, BSF और पुलिस ने कुकी-मैतेई समुदायों के 30 से ज्यादा उग्रवादी संगठनों को दबोचने के लिए जॉइंट ऑपरेशन तेज कर दिया है। सुरक्षाबल मैतेई बहुल इंफाल वैली हो या फिर कुकी समुदाय का चुराचांदपुर या मोरेह, सभी जगह उग्रवादियों की उन पनाहगाहों को ध्वस्त कर रहे हैं, जहां वो छिपे रहते थे। हिंसा के दौरान उग्रवादियों ने राज्यभर में पुलिस से करीब 6 हजार हथियार लूटे थे। वो भी अब या तो सरेंडर कर रहे हैं, या फिर जान बचाकर दूसरे राज्यों में भाग रहे हैं।

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1. गैंग्स ऑफ मणिपुर, जिनकी वजह से नहीं रुक रही हिंसा

3 मई, 2023 से हिंसा झेल रहे मणिपुर में जब भी कोई बड़ी घटना हुई, तीन संगठनों के नाम बार-बार सामने आए- ITLF, अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन। इनमें ITLF कुकी संगठन है और मैतेई लिपुन-अरामबाई टेंगोल मैतेई। ये गैंग्स ऑफ मणिपुर हैं, जिन पर एक-दूसरे के गांव जलाने, अगवा करने और बेरहमी से हत्या करने के आरोप हैं। पढ़िए पूरी खबर…
2. सैटेलाइट इमेज में देखिए कैसे तबाह हुईं मणिपुर की बस्तियां

दैनिक भास्कर ने ये रिपोर्ट मणिपुर में हिंसा के 500 दिन पूरे होने पर की थी। हमने सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों चुराचांदपुर, कांगपोकपी, बिशनुपुर और इंफाल ईस्ट की सैटेलाइट इमेज देखीं। इनमें दिख रहा है कि इन इलाकों में पूरे गांव ही खत्म हो गए हैं। ये फोटो अलग-अलग वक्त पर ली गई हैं। इनसे हिंसा से पहले, हिंसा के दौरान और मौजूदा स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पढ़िए पूरी खबर…