सनातन धर्म में दो हाथ से भक्ति होती है : पं. गोविंद मिश्रा
लखनऊ। ज्ञान की प्राप्ति सत्संग और कथा से होती है, इसलिए व्यक्ति को साधन बढ़ाने के साथ-साथ साधना भी बढ़ानी चाहिए, अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। विश्वनाथ मन्दिर के 33वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड योजना कालोनी में चल रहे शिव पुराण कथा के दूसरे दिन सोमवार को कथा व्यास पं. गोविंद मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की प्राप्ति के लिए तीन साधन श्रवण, कीर्तन, मनन बताया गया है।
इस साधन को प्राप्त करने के लिए सबसे आवश्यक है सत्संग। बिना सत्संग के श्रवण, कीर्तन, मनन में हमारी रुचि नहीं होगी। वहीं शाम को श्री किशोरी आदर्श रासलीला मंडल के कलाकारों ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव सहित अन्य दृश्यों का मंचन किया।
पं. गोविंद मिश्रा ने कहा कि मनुष्य के उद्धार के लिए धर्म और ज्ञान से बड़ा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। पहले लोग अधर्म से दूर रहते थे लेकिन अब लोग धर्म से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में धर्मांतरण को रोकना जरूरी है, जिससे लोग धर्म से दूर न हो।
कथाव्यास ने कहा कि एक हाथ से भगवान की भक्ति करना हमारे सनातन धर्म की पहचान नहीं है। हमारे सनातन धर्म में दो हाथ से भक्ति होती है। आजकल कुछ युवा एक हाथ से अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते है, जबकि हमारे धर्म में दोनों हाथों से बड़े-बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है। सनातन की पहचान दोनों हाथ से है, यही हमारी संस्कृति और सभ्यता है।
इस मौके पर योगेश शास्त्री, मनोज मेहरोत्रा, हरिद्वार सिंह, शाश्वत पाठक, पीयूष सिंह, मीरा पांडेय, कान्ति पाण्डेय सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।