8 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी
- कॉपी लिंक
हाल ही में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (EASD) के एनुअल समिट में एक स्टडी पेश की गई। इस स्टडी में पता चला कि इंसुलिन रेजिस्टेंस का 31 बीमारियों से सीधा संबंध है। इसके कारण हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज और स्लीप डिसऑर्डर्स का खतरा हो सकता है। इससे महिलाओं की कम उम्र में मौत का जोखिम भी 11% तक बढ़ जाता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस एक कॉम्प्लेक्स कंडीशन है, जिसमें हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्ड करना कम कर देता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जिसे हमारा पैंक्रियाज बनाता है। यह हमारे ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने और शरीर के कई अन्य कामकाज के लिए बहुत जरूरी है।
जर्नल ऑफ एंडोक्रोनोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में 15.5 से लेकर 46.5% वयस्क तक किसी-न-किसी रूप में इंसुलिन रेजिस्टेंस से गुजर रहे हैं। शुरुआती स्टेज में लाइफ स्टाइल और खानपान में बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अगर यह कंडीशन लंबे समय तक बनी रहे तो इसके कारण कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में इंसुलिन रेजिस्टेंस की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ी नई स्टडी से क्या निकलकर आया?
- डायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस में क्या फर्क है?
- इसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- इसके लक्षण और कारण क्या हैं?
- रिस्क फैक्टर्स और बचाव क्या है?
स्वस्थ शरीर में ऐसे काम करता है इंसुलिन
- हमारा शरीर भोजन को ग्लूकोज के रूप ब्रेक करता है, यह शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
- ग्लूकोज ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करता है, जो पैंक्रियाज को इंसुलिन रिलीज करने का संकेत देता है।
- इंसुलिन ब्लड में मिलकर ग्लूकोज को मसल्स, फैट और लिवर सेल्स में प्रवेश करने में मदद करता है ताकि वे इसे ऊर्जा के लिए उपयोग कर सकें या फिर बाद में जरूरत के लिए इसे स्टोर कर सकें।
- जब ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश करता है और ब्लड स्ट्रीम में इसका लेवल कम हो जाता है तो यह पैंक्रियाज को इंसुलिन का प्रोडक्शन बंद करने का संकेत देता है।
- इससे ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन प्रोडक्शन दोनों कंट्रोल में बने रहते हैं।
EASD की स्टडी में क्या पता चला
चीन की शेडोंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जिंग वू और उनकी टीम ने यूके बायोबैंक के डेटा बेस से लगभग 4 लाख 29 हजार लोगों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पता चला कि इंसुलिन रेजिस्टेंस के ज्यादातर मामले पुरुषों, सिगरेट पीने वालों, बुजुर्ग व्यक्तियों, मोटे लोगों और सिडेंटरी लाइफ स्टाइल जीने वाले लोगों में देखने को मिलते हैं। इसके अलावा स्टडी में क्या नई बातें पता चलीं, ग्राफिक में देखिए।

इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने से इसलिए होती डायबिटीज
जब हमारी सेल्स इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया देने में कमजोर पड़ने लगती हैं तो ऐसी स्थिति में पैंक्रियाज और अधिक मात्रा में इंसुलिन बनाकर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में बनाए रखता है। इसके बाद जब सेल्स इंसुलिन के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इस कंडीशन को हाइपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहते हैं। यह कुछ समय बाद प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है। इसके अलावा भी इसके कारण कई बीमारियां हो सकती हैं, ग्राफिक में देखिए।

इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने से पहले शरीर कई संकेत देता है
जब हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया देने में कमजोर पड़ने लगता है तो पैंक्रियाज की मेहनत बढ़ जाती है। इससे परेशान होकर शरीर मदद के लिए कई तरह के संकेत देता है। हमारी प्यास पहले से अधिक बढ़ जाती है, बार-बार पेशाब जाने की जरूरत पड़ती है। शरीर और क्या इशारे करता है, ग्राफिक में देखिए।

इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज के बीच है फर्क
खराब लाइफ स्टाइल और अनहेल्दी डाइट के कारण किसी भी शख्स के शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस डेवलप हो सकता है। यह कंडीशन अस्थाई या क्रॉनिक हो सकती है।

जिन लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित होता है, उन्हें डायबिटीज होने की संभावना बहुत अधिक होती है। यह कंडीशन इंसुलिन प्रोडक्शन रुकने का कारण भी बन सकती है।
किन लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंस का जोखिम है ज्यादा
अगर किसी शख्स के माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को डायबिटीज की शिकायत रही है तो इस बात की बहुत अधिक आशंका है कि उसका शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाएगा। ओवरवेट लोगों को भी इसकी अधिक आशंका होती है। इसके अलावा यह किन लोगों को अधिक प्रभावित करता है, ग्राफिक में देखिए।

इंसुलिन रेजिस्टेंस बन सकता है हार्ट अटैक का कारण
इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण आमतौर पर शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता जाता है। इस कंडीशन को हाइपरइन्सुलिनेमिया (Hyperinsulinemia) कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप तेजी से वजन बढ़ सकता है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति को और बदतर बना सकता है। इसके अलावा भी कई तरह मुश्किलें बढ़ सकती हैं:
- ट्राइग्लिसराइड लेवल बढ़ सकता है
- धमनियां सख्त हो सकती हैं (Atherosclerosis)
- ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है ((Hypertension)
ये सभी कंडीशन मिलकर हार्ट अटैक की वजह बन सकती हैं। इसलिए अपने शरीर के संकेतों के प्रति सचेत रहकर इसे रोकना ही बेहतर उपाय है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस के संकेत मिलें तो बदलें खानपान
अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस के संकेत मिलें तो हमें तुरंत सावधान होने की जरूरत है। लाइफ स्टाइल और खानपान में कुछ जरूरी बदलाव करके इसे रोका जा सकता है। खानपान में क्या बदलाव करने हैं, ग्राफिक में देखिए।

इसके अलावा अपनी सिडेंटरी लाइफ स्टाइल की आदत को भी बदलने की जरूरत है। नियमित एक्सरसाइज की आदत डालनी चाहिए। रात में समय पर सोना और कम-से-कम 7 घंटे की भरपूर नींद लेना जरूरी है। दिन में हेल्दी और बैलेंस्ट डाइट के साथ 7-8 गिलास पानी पीना चाहिए। इस तरह हम इंसुलिन रेजिस्टेंस को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।