Latest News

मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस ले सरकार राष्ट्रव्यापी काला दिवस के तहत डीएलसी ऑफिस में दिया धरना, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन काम के घंटे 12 करना आधुनिक गुलामी

 

*अजय सिंह*
*लखनऊ*। आधुनिक गुलामी के दस्तावेज मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को वापस लेने की मांग पर आज राष्ट्रव्यापी काला दिवस के तहत अपर श्रमायुक्त कार्यालय लखनऊ में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र फेडरेशन के आयोजित धरने के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन भेज इन लेबर कोड को वापस लेने की मांग की गई। इस दौरान आयोजित सभा की अध्यक्षता एटक के रामेश्वर यादव, सीटू के राहुल मिश्रा, एचएमएस के रमाकांत मिश्रा, वर्कर्स फ्रंट के राम सुरेश यादव, इंटक के विनोद तिवारी, टीयूसीसी की डॉक्टर आरती, एक्टू के मधुसूदन मगन, एआईयूटीयूसी के आशुतोष साहू के अध्यक्ष मंडल ने और संचालन एटक के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर ने किया। औद्योगिक सम्बंध पर एचएमएस के उमाशंकर मिश्रा, व्यावसायिक सुरक्षा पर वर्कर्स फ्रंट के दिनकर कपूर, सामाजिक सुरक्षा पर इंटक के एच. एन. तिवारी, वेज कोड पर सीटू के राहुल मिश्रा और महिला मजदूरों पर डॉक्टर आरती ने वि रखी।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि दो सौ सालों के संघर्षों से मजदूर वर्ग ने काम के घंटे 8 करने का कानून बनवाया था। जिसे खत्म करने में मोदी और योगी सरकार लगी हुई है। चार लेबर कोडों में काम के घंटे 12 करने का प्रावधान किया गया है और योगी सरकार ने तो लेबर कोडों के लागू होने से पहले ही कारखाना अधिनियम में संशोधन करके इसे कर दिया है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस और पूंजी निवेश के नाम पर मजदूरों को आधुनिक गुलामी में धकेला जा रहा है।

मजदूर नेताओं ने कहा कि सरकारें चाहे जिस दल की रही हो कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए मजदूरों के अधिकारों को छीनने की नीतियां बदस्तूर जारी हैं। कल्याणकारी राज्य के दायित्व से सरकार पीछे हट चुकी है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुरानी पेंशन योजना जैसी सुविधाओं को देने के लिए सरकार तैयार नहीं है। सरकार आम आदमी के अधिकारों के लिए संसाधन न होने का बहाना बनाती है। जबकि यदि देश के सुपर रिच की संपत्ति पर ही समुचित टैक्स लगाया जाए तो हर नागरिक के सम्मानजनक जीवन को सुनिश्चित किया जा सकता है।

मजदूर नेताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हालत बेहद बुरी है। यहां शेड्यूल इंडस्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का पिछले पांच सालों से वेज रिवीजन नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप इस भीषण महंगाई के दौर में बेहद अल्प वेतन में अपने परिवार की जीविका चलाना मजदूरों के लिए कठिन होता जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि निर्माण, सेल्स, सिगरेट, सिनेमा, खनन, बीडी आदि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए जो कानून बने थे। उसे भी सरकार ने इन लेबर कोडों के जरिए खत्म कर दिया है।

वक्ताओं ने कहा कि पूरी दुनिया में रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के सवालों पर हुए आंदोलनों ने सरकारों को बदलने का काम किया है। भारत में भी मोदी सरकार के द्वारा लाए जा रहे लेबर कोडों के विरुद्ध पूरे देश का मेहनतकश खड़ा है और आने वाले समय में सरकार को बड़े जनांदोलन का सामना करना पड़ेगा।

सभा को एटक के प्रदेश अध्यक्ष वी. के. सिंह, पीयूष मिश्रा, निर्माण यूनियन से नौमीलाल, बालेन्द्र कटियार, एल. एन. पाठक, राजाराम यादव, अविनाश पांडेय, दिलीप श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, राम गोपाल पुरी ने संबोधित किया।

Share This Post

49 Views
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Advertisement