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फडणवीस बोले- बागी उम्मीदवारों की समस्या हर पार्टी में:  हमें उन्हें मनाना होगा, चुनाव न लड़ने को कहा जाएगा; दावा- 150 बागी प्रत्याशी मैदान में

फडणवीस बोले- बागी उम्मीदवारों की समस्या हर पार्टी में: हमें उन्हें मनाना होगा, चुनाव न लड़ने को कहा जाएगा; दावा- 150 बागी प्रत्याशी मैदान में


मुंबई5 घंटे पहले

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महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने माना कि महाराष्ट्र विधानसभा में इस बार बागी उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक है। यह समस्या हर पार्टी में है। हमें उन्हें मनाना होगा।

मुंबई में 30 अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, ‘हमारी कोशिश रहेगी कि बागी नेताओं को चुनाव से हटने के लिए राजी किया जाए। जब महायुति समन्वय समिति की घोषणा हुई थी तो तीनों पार्टियों के प्रतिनिधियों ने हर विधानसभा क्षेत्र में इसी तरह की समितियां बनाईं। इन कमेटियों का मकसद था कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिल रहा है, उन्हें बागी न होने के लिए राजी किया जा सके। हालांकि, ऐसा लगता है कि कमेटियां काम नहीं कर रही हैं।’

6 पार्टियां चुनाव मैदान में, लगभग हर सीट पर बागी शिवसेना और NCP में बगावत के चलते इस बार कांग्रेस, भाजपा समेत छह बड़े दल मैदान में हैं। इसी वजह से बागी भी ज्यादा हैं। राज्य की लगभग हर सीट पर बागी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इनकी संख्या 150 से ज्यादा है। अब सबकी निगाह अब नाम वापसी की आखिरी तारीख, 4 नवंबर पर है। उसके बाद ही पता चलेगा कि लड़ाई कैसी होगी। इस बार 7,995 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। आखिरी दिन 4,996 ने पर्चे भरे।

भाजपा ने 148 और कांग्रेस ने 103 सीटों पर उम्मीदवार उतारे

महायुति और MVA ने नामांकन खत्म होने के बाद भी सीट बंटवारे का फॉर्मूला नहीं बताया। प्रत्याशी देखें तो महायुति में 148 उम्मीदवारों के साथ भाजपा और MVA में 103 के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है।

दोनों पार्टियां 2019 के विधानसभा चुनाव से कम सीटों पर लड़ रही हैं। भाजपा ने पिछली बार 164 तो कांग्रेस ने 147 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे।

वहीं, शिवसेना-शिंदे ने 80, NCP-अजित ने 53, शिवसेना- उद्धव ने 89, NCP- शरद ने 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। पिछले चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) और NCP (अविभाजित) 124-124 सीटों पर लड़ी थीं।

इन सबके अलावा इस बार महायुति ने 5 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं। दूसरी तरफ MVA के छोटे सहयोगी दल 6 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। महायुति की 2 और MVA की 3 सीटों पर अभी भी स्थिति साफ नहीं है।

महायुति के बड़े बागी, जो निर्दलीय मैदान में…

बोरिवली- गोपाल शेट्टी दो बार भाजपा से सांसद रह चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था इसलिए विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने संजय उपाध्याय को टिकट दे दिया।

उमरेड- राजू पारवे शिंदे गुट की शिवसेना के नेता हैं। पार्टी ने रामटेक से लोकसभा चुनाव लड़ाया था, लेकिन हार गए। विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के पास चली गई। भाजपा ने सुधीर पारवे को मैदान में उतारा है।

अंधेरी पूर्व- स्वीकृति शर्मा पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी हैं। कुछ दिन पहले ही शिंदे गुट की शिवसेना ज्वाइन की थी। पार्टी ने इस सीट से मुरजी पटेल को उम्मीदवार बनाया तो निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।

चिंचवड- नाना काटे अजित गुट की NCP के नेता हैं। सीट भाजपा के पाले में चली गई। भाजपा ने शंकर जगताप को उतारा है।

मानखुर्द-शिवाजीनगर- नवाब मलिक

नवाब अणुशक्ति नगर सीट से विधायक हैं। अजित गुट की NCP ने उस सीट पर मलिक की बेटी सना मलिक को टिकट दिया है।

नवाब अणुशक्ति नगर सीट से विधायक हैं। अजित गुट की NCP ने उस सीट पर मलिक की बेटी सना मलिक को टिकट दिया है।

इस सीट पर मामला बड़ा दिलचस्प है। नॉमिनेशन भरने की समय सीमा खत्म होने से कुछ मिनट पहले ही अजित गुट की NCP ने नवाब मलिक को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। मलिक पहले से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, मगर भाजपा विरोध कर रही थी।

भाजपा ने मलिक को दाऊद इब्राहिम का करीबी बताते हुए देशद्रोह सहित कई आरोप लगाए थे। इसी वजह से मलिक को टिकट नहीं मिल पा रहा था। हालांकि, 29 अक्टूबर को नवाब मलिक ने दो पर्चे दाखिल किए।

पर्चा भरने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैंने NCP उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया। साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी पर्चा दाखिल किया था। लेकिन पार्टी ने एबी फॉर्म भेजा और हमने दोपहर 2.55 बजे एबी फॉर्म जमा किया। अब मैं NCP का आधिकारिक उम्मीदवार हूं।’

भाजपा अब भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी का विरोध कर रही है। समझौते के तहत यह सीट शिंदे गुट को मिली थी। पार्टी ने यहां से सुरेश पाटिल को टिकट दिया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन किया है और लगातार मलिक के खिलाफ बयान दे रही है।

काटोल सीट पर भाजपा और अजित की NCP आमने-सामने NCP में टूट से पहले पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख इस सीट से विधायक बने थे। हालांकि, जब पार्टी में टूट हुई तो देशमुख ने शरद पवार का साथ दिया। इस वजह से भाजपा इस सीट पर दावा कर रही थी। वहीं, अजित अब भी इसे NCP की जीती हुई सीट मान रहे थे। नतीजा दोनों ने उम्मीदवार उतार दिए। भाजपा ने चरण सिंह ठाकुर तो NCP ने नरेश अरसडे को टिकट दिया है।

MVA में उलझन थोड़ी ज्यादा

पंढरपुर शरद पवार की NCP ने अनिल सावंत को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने भगीरथ भालके को उतारा है। भगीरथ दिवंगत कांग्रेस विधायक भारत भालके के बेटे हैं। भारत भालके के निधन के बाद उपचुनाव में भगीरथ ने NCP से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। अबकी बार टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस में आ गए और पार्टी ने अपनी सहयोगी शरद गुट की NCP के खिलाफ ही टिकट दे दिया।

परंडा उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने रणजीत पाटिल को टिकट दिया है। दूसरी तरफ शरद पवार की NCP ने पूर्व विधायक राहुल मोटे को मैदान में उतारा है।

सोलापूर दक्षिण कांग्रेस के दिलीप माने यहां से टिकट चाहते थे लेकिन MVA में समझौते के तहत यह सीट उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मिली। पार्टी ने अमर पाटिल को टिकट दिया है। अब दिलीप माने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

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