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इम्फाल2 घंटे पहले
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मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर में जातीय हिंसा 3 मई 2023 को शुरू हुई थी। इसके 16 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान राज्य में जबरन वसूली की घटनाएं बढ़ी हैं। कई गैंग-गिरोह हैं जो जबरन वसूली करके अंडरग्राउंड हो जाते हैं। अब इनसे निपटने के लिए मणिपुर पुलिस ने स्पेशल सेल ‘एंटी एक्सटॉर्शन सेल’ का गठन किया है।
IGP इंटेलिजेंस के. कबीब ने कहा- राज्य से निकले नेशनल हाइवे से गुजरने वालों ट्रकों से अवैध टैक्स वसूला जा रहा है। डोनेशन के नाम पर व्यापारियों, एजुकेशन इंस्टीट्यूट और आम लोगों को परेशान किया जा रहा है। उनसे जबरन वसूली की जा रही है। इसका असर इकोनॉमिक एक्टिविटी पर भी दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि पुलिस जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन ले रही है। कई अंडरग्राउंड गैंग और गिरोह किडनैपिंग, ग्रेनेड अटैक और फोन पर धमकी देने के मामलों में शामिल हैं। इन एक्टिविटी के जवाब में पुलिस ने ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) की लीडरशिप में एंटी एक्सटॉर्शन सेल बनाई है। इसमें सभी जोन के IGP सदस्य हैं।

15 क्रैक टीमें, 16 पुलिस-CPRF की कंपनियां तैनात कबीब ने कहा- एंटी एक्सटॉर्शन सेल पूरे राज्य में हो रही जबरन वसूली विरोधी कैंपेन मॉनिटरिंग और सुपरविजन करेगी। जिला पुलिस ने अन्य सिक्योरिटी एजेंसियों की मदद से 15 क्रैक टीमें तैयार की हैं।
उन्होंने कहा कि बीते एक साल में जबरन वसूली करने वाले 121 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही अंडरग्राउंड गैंग-गिरोह के 215 से अधिक सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया है।
नेशनल हाईवे पर आवश्यक वस्तुओं के आवागमन में परेशानी परेशानी ना हो इसके लिए पुलिस ने CRPF की मदद से NH-2 पर रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) के लिए 16 कंपनियों को तैनात किया है।
ट्रकों की सुरक्षा के लिए दो अतिरिक्त कंपनियां भी तैनात की गई हैं।
मोबाइल टीमें भी की गईं तैनात कबीब ने कहा कि जबरन वसूली के हॉटस्पॉट तलाशने के लिए मोबाइल टीमें तैनात की गई हैं। पुलिस अन्य एजेंसियों के साथ तालमेल बिठा रही है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि कोई भी जबरन वसूली करता है तो उसकी सूचना हमें दें।
उन्होंने कहा कि हम जबरन वसूली करने वालों को पकड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आप (जनता) किसी एक गैंग के आगे झुक गए, तो दूसरे गैंग भी अपना हिस्सा मांगेंगे। कई गिरोह जबरन वसूली के लिए अंडरग्राउंड गैंग के नाम का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

ऑर्गेनाइज्ड मुद्दा बना जबरन वसूली
आईजीपी कबीव ने कहा कि जबरन वसूली एक ऑर्गेनाइज्ड मुद्दा बन गया है। इससे कई जिले प्रभावित हैं। राज्य के बाहर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
कबीब के मुताबिक, लोगों से अपील है कि वे समुदाओं में मोरल पुलिसिंस को शामिल नहीं होने दें। इससे सतर्क रहें। क्योंकि कई मामले जबरन वसूली के होते हैं। निर्दोष लोग इस तरह की केस का शिकार बनते हैं।
IGP (एडमिन) के. जयंत सिंह ने कहा कि जबरन वसूली ने राज्य में प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों को प्रभावित किया है। हमें शक है जातीय हिंसा के दौरान पुलिस आर्मरी से लूटे गए हथियारों का इस्तेमाल जबरन वसूली के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हम इसे एक अत्यधिक संगठित क्षेत्र मानते हैं और स्थिति गंभीर है। हमने कई गिरफ्तारियां की हैं। जांच में सामने आया है कि जो लोग जबरन वसूली करते हैं वे किसी बड़ी योजना का मोहरा मात्र होते हैं। मेन व्यक्ति कोई और ही है। 9 सितंबर को राजभवन पर पत्थरबाजी हुई थी

स्टूडेंट्स ने सोमवार सुबह दूसरे दिन भी प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस से उनकी झड़प भी हुई।
9 सितंबर को इंफाल में स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। पुलिस और सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका था। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे थे। इसमें घटना में 20 स्टूडेंट्स घायल हुए थे।
मैतेई समुदाय के ये छात्र मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं को लेकर 8 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे थे। इसमें स्थानीय लोग भी शामिल थे। 8 सितंबर को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंचे थे। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे।
स्टूडेंट्स 1 और 3 सितंबर को मैतेई इलाकों में हुए ड्रोन हमलों का विरोध कर रहे थे। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की थी। साथ ही राज्य के 60 में से 50 मैतेई विधायकों से अपना रुख स्पष्ट करने या इस्तीफा देने को कहा था।
इन स्टूडेंट्स ने यह भी डिमांड की थी कि राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे थे। पूरी खबर पढ़ें…
मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं…
1 सितंबर- पहला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।
3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की।
6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे।
7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई।


मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया हैंडल पर एंटी ड्रोन सिस्टम की तैनाती का वीडियो शेयर किया था।
मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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मणिपुर CM बोले- मैं इस्तीफा क्यों दूं, घोटाला नहीं किया: मोदी पर कहा- उनका आना जरूरी नहीं था

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अगले छह महीने में राज्य में शांति बहाल करने का दावा किया है। उन्होंने CM पद से इस्तीफे की आशंका को लेकर कहा, ‘इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है। मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? कोई घोटाला किया है?’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर नहीं जाने के सवाल पर कहा कि तनाव के बीच उनका आना जरूरी नहीं था। पूरी खबर पढ़ें…