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भाजपा अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर में:  चुनाव के लिए 4 सदस्यीय टीम गठित, पहले राज्यों के अध्यक्ष चुने जाएंगे

भाजपा अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर में: चुनाव के लिए 4 सदस्यीय टीम गठित, पहले राज्यों के अध्यक्ष चुने जाएंगे


नई दिल्ली49 मिनट पहले

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जून 2024 में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था।

भाजपा ने संगठनात्मक चुनाव के लिए टीम का ऐलान कर दिया है। राज्यसभा सांसद के. लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी घोषित किया गया है। यह टीम राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया का संचालन करेगी।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर में होना है। सदस्यता अभियान के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है। 17 अक्टूबर तक सदस्यता अभियान चलेगा। इसके बाद राज्यों में संगठनात्मक चुनाव होंगे।

राज्यों में नया अध्यक्ष चुना जाएगा। वहीं, 50% राज्यों के चुनाव संपन्न होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा होगी।

लक्ष्मण होंगे चुनाव अधिकारी, बंसल और पात्रा भी शामिल राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद नामांकन की तिथि और मतदान की तारीख का एेलान होगा। यदि एक ही नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आया तो उसे चुनाव अधिकारी पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर देता है। के. लक्ष्मण के साथ सांसद नरेश बंसल, संबित पात्रा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा को राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी बनाया गया है।

जून में बढ़ा था जेपी नड्‌डा का कार्यकाल

नड्‌डा का कार्यकाल इसी साल जनवरी में खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव के लिए जून तक विस्तार दिया गया था। जुलाई में पार्टी को नया अध्यक्ष चुनना था। लेकिन नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले संगठनात्मक चुनाव की जरूरत होती है। इसमें 6 महीने का समय लगता है। इसलिए जून में नड्‌डा का कार्यकाल 6 महीने और बढ़ाया गया था।

नड्‌डा अभी केंद्रीय मंत्री भी हैं, लिहाजा उनके दैनिक क्रियाकलाप के संचालन के लिए किसी महासचिव को कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं। सुनील बंसल व विनोद तावड़े के नाम सबसे आगे हैं।

बाद में पूर्ण अध्यक्ष का जिम्मा कार्यकारी को संभव सूत्रों का कहना है कि जिसे कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी, भविष्य में उसे पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। चूंकि पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। इसलिए नया अध्यक्ष अक्टूबर-नवंबर 2025 के बिहार, 2026 के पश्चिम बंगाल और 2027 के उप्र विधानसभा चुनाव (2027) के लिए अपनी नई टीम पर्याप्त समय रहते बना सकता है।

वहीं, 2028 में जब नए अध्यक्ष को चुनने का समय आएगा तो 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए उसे लगभग डेढ़ साल तक का समय तैयारियों के लिए मिलेगा।

कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के पीछे वजह भाजपा के संविधान में एक व्यक्ति एक पद की व्यवस्था है, इसलिए केंद्रीय मंत्री रहते नड्‌डा पूर्ण रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं रह सकते। लिहाजा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर पार्टी इस तकनीकी पहलू को सुलझा सकती है। 2019 के बाद भी भाजपा ने अमित शाह को अध्यक्ष बनाए रखा था। नड्‌डा कार्यकारी अध्यक्ष बने थे।

जेपी नड्डा की जगह जो ले सकते हैं, जानिए सुनील बंसल और तावड़े के बारे में ​​​​​​

मजबूत दावेदारी की वजहः भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व प्रचारक हैं। अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बंसल ने देश भर के सभी कॉल सेंटरों को संभाला, फीडबैक जमा किया और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का काम किया। वह ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना के प्रभारी भी हैं।

कमजोर कड़ीः राजस्थान से आते हैं और 2014 चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में प्रभारी थे। इनके नेतृत्व में BJP ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। 2024 के चुनाव में राजस्थान और उत्तर प्रदेश दोनों ही राज्यों में BJP को झटका लगा है।

राजस्थान में BJP को 11 सीटों का, जबकि उत्तर प्रदेश में 29 सीटों का नुकसान हुआ है। ऐसे में संभव है कि राष्ट्रीय स्तर पर लाने के बजाय पार्टी इन्हें एक बार फिर इन्हीं दोनों में से किसी एक प्रदेश में संगठन को नए सिरे से मजबूत करने के लिए भेज दे। पूरी खबर पढ़ें…

मजबूत दावेदारी की वजह: 1995 में इन्हें पहली बार BJP की तरफ से महाराष्ट्र महासचिव बनाया गया। इनकी सांगठनिक क्षमता को देखते हुए 2002 में इन्हें दोबारा ये जिम्मेदारी दी गई। 2014 में महाराष्ट्र के बोरीवली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शिक्षा मंत्री बने।

तावड़े 12वीं और 13वीं लोकसभा चुनाव में BJP की समन्वय समिति के प्रमुख सदस्य थे। इनके बारे में कहा जाता है कि ये कुशल प्रशासक के साथ-साथ कुशल संगठनकर्ता भी हैं। विनोद तावड़े हरियाणा के प्रभारी भी रह चुके हैं। इनके प्रभारी रहते ही हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार बनी थी।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में इन्हें भाजपा अध्यक्ष बनाने से प्रदेश में एक अच्छा संदेश जाएगा। लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए यह फैसला विधानसभा चुनाव के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।

कमजोर कड़ी: बिहार के प्रभारी हैं और वहां अगले साल ही विधानसभा चुनाव होना है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें 17 से घटकर 12 रह गई हैं। तावड़े को नई जिम्मेदारी दिए जाने से नए प्रभारी को नए सिरे से यहां काम शुरू करना होगा। पूरी खबर पढ़ें…

अभी कौन, कहां प्रदेश अध्यक्ष

  1. आंध्र प्रदेश- दग्गुबाती पुरंदेश्वरी
  2. अरुणाचल प्रदेश- बियुराम वाहगे
  3. असम- भाबेश कलिता
  4. बिहार- दिलीप कुमार जयसवाल
  5. छत्तीसगढ़ – किरण सिंह देव
  6. गोवा सदानंद- तनावड़े
  7. गुजरात – सीआर पाटिल
  8. हरियाणा- मोहन लाल बड़ौली
  9. हिमाचल प्रदेश- राजीव बिंदल
  10. झारखंड- बाबूलाल मरांडी
  11. कर्नाटक- बीवाई विजयेंद्र
  12. केरल- के सुरेंद्रन
  13. मध्य प्रदेश- वीडी शर्मा
  14. महाराष्ट्र- चन्द्रशेखर बावनकुले
  15. मणिपुर- अधिकारीमयुम शारदा देवी
  16. मेघालय- रिकमान मोमिन
  17. मिजोरम- वनलालहमुअका
  18. नगालैंड- बेंजामिन येपथोमी
  19. ओडिशा- मनमोहन सामल
  20. पंजाब- सुनील जाखड़
  21. राजस्थान- मदन राठौड़
  22. सिक्किम- दिल्ली राम थापा
  23. तमिलनाडु- के अन्नामलाई
  24. तेलंगाना- जी किशन रेड्डी
  25. त्रिपुरा- राजीब भट्टाचार्य
  26. उत्तर प्रदेश – चौधरी भूपेन्द्र सिंह
  27. उत्तराखंड- महेंद्र भट्ट
  28. पश्चिम बंगाल- सुकांत मजूमदार

केंद्र शासित प्रदेशों में अध्यक्ष



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