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उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या ने माध्यमिक शिक्षकों की समस्याओं की समीक्षा की

*अजय सिंह*

*लखनऊ*। सभापति विधान परिषद के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षकों की समस्याओं को लेकर उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल व स्नातक विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की मौजूदगी में विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई। बैठक में तदर्थ शिक्षकों के संबंध में दिनांक 9 नवम्बर 2023 के आदेश को वापस लेने की बात कही गई, क्यों कि उसके बाद वेतन देने के लिए मा० न्यायालय द्वारा निर्णय दिये जा रहें हैं उस पर आदेश क्यों नही दे रहे हैं। 2000 के पूर्व पर अपर मुख्य सचिव सबको वेतन देने के लिए तैयार हुए। विनियमितीकरण के दायरे में भी लाने के लिए हामी भरे।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने बताया कि बातचीत का विवरण शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल ने दिया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 के बाद वालों पर कहा कि उनके आदेश में ही है कि आयोग /चयन बोर्ड से आने तक सेवा में बने रहेंगे, इसलिए इस टेक्निकल पर उन्हें भी वेतन आपके द्वारा दिया जाए।

तब उप मुख्यमंत्री ने पूछा कि ऐसे कितने लोग हैं। शिक्षक विधायक ने कहा कि लगभग 1200 लोग ही अब बचे है। इससे सरकार पर वित्तीय भार अलग से नहीं कोई पड़ने वाला है पूरा सदन इस पर सहमत जताया इस पर एक माह के अंदर निर्णय लेने की सहमत बनी ।

वार्ता के दौरान 22 मार्च 2016 के विनियमितीकरण आदेश के तहत जो भी शिक्षक 33(छ) में विनियमित हुए हैं और अवकाश ग्रहण किए हैं उन्हें पेंशन नहीं दी जा रही है। शिक्षक विधायक ने कहा कि इस पर तदर्थ/अर्हकारी सेवाएं जोड़ने के लिए कहा गया इस पर माननीय उप मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया, क्यों नहीं जोड़े जा रहा है। अन्य विभाग में विनिमित होने के बाद डेलीवेजेज सेवा जोड़कर पेंशन दी जाती है।

शिक्षक विधायक ने बताया कि इसके पूर्व 33(क), 33(ख) या33 (ग) जब भी विनियमितीकरण आदेश हुए हैं उसमें और अर्हकारी/तदर्थ सेवाएं सेवानिवृत्ति के लाभ/ पेंशन में जोड़ी गई है। इस पर हाईकोर्ट से अधिक संख्या में आदेश भी हो चुके हैं अन्य तर्क में यह भी आया है कि अब तो आप 2005 के पूर्व सबको पेंशन देने जा रहे हैं तो उनकी नियुक्ति तो उससे पूर्व में ही हुई है।

उन्होंने बताया कि आएसीएस के संज्ञान में मार्च 2016 के पूर्व जो भी विनियमितिकरण आदेश हुए हैं उसमें तदर्थ सेवाएं जोड़कर पेंशन लाभ दी गई इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। यह उनकी बातों से लगा उसके बाद उन्होंने इस पर हामी भरी और एक महीने में निर्णय देने का सहमत बनी।

उन्होंने बताया कि 22 मार्च 2016 की विनियमिति करण नियमावली से धारा 8 हटाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाने पर सहमत बनी। वर्ष1981 से 2020 तक 40000 शिक्षकों की जो बिजलेंस(सर्तकता) जांच होनी थी उस पर पूर्ण विराम लगा। एसीएस दीपक कुमार ने खुद वक्तव्य देकर बताएं कि विजिलेंस को मैं बुलाकर कह दिया है जो शिकायत करता है उसे बुलाकर पूछिए कि व्यक्तिगत किसकी शिकायत किया गया है।

वही तक जांच सीमित रहेगी और संबंध में शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) से कहे की इस संबंध में अविलम्ब पत्र भी आप निर्गत कर दें समस्त जिला विद्यालय निरीक्षक /जेडी को।

उन्होंने बताया कि विषय विशेषज्ञ के रूप में की गई सेवा को 1 अप्रैल 5 के पूर्व की विज्ञापन मानते हुए विकल्प प्रपत्र भरने की अनुमति दी जाए। इस संबंध में शिक्षक विधायक ने वर्ष 2003 का हाईकोर्ट का निर्णय दिखाए।

शासनादेश का हवाला दिए और चयन समिति में विभागाध्यक्ष के रूप में माध्यमिक शिक्षा में पहली बार प्रवक्ता के लिए डायरेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनी और एलटी ग्रेड के लिए जेडी के नेतृत्व में सारी राजाज्ञा शिक्षक विधायक द्वारा सदन में देते समय उप मुख्यमंत्री द्वारा यह कहा गया कि आप एक-एक शासनादेश/पन्ना सजोय के रखे हुए हैं। वार्ता होते समय शिक्षा निदेशक ने विरोध जताया कि यह पद के सापेक्ष नियुक्तियां नहीं हुई है जिस पर शिक्षक विधायक द्वारा कहा गया आप आमेलन पद के सापेक्ष किए हैं। उसके बाद इस पर एसीयस और उनके द्वारा निर्णय लेने की हामी भरी गई।

उन्होंने बताया कि राज्य शिक्षा सेवा चयन आयोग में सेवा सुरक्षा/ दंड प्रक्रिया/ निलंबन/ अनुमोदन की नियमावली नहीं बनी। इस पर एसीएस ने कहा कि यह निमावली बन रही है उसमे चयन बोर्ड नियमावली-1998 की धारा 12,18 व 21 जोड़ने पर सहमत बनी। एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पदोन्नति संबंधी नियमावली पर शिक्षक विधायक ने जोर देकर कहा की प्रदेश में हजारों पदोन्नतियां रुकी है। सीएम सिटी में ही सैकड़ो पदोन्नति रुकी हुई है इस पर एसीएस ने कहा जल्दी ही पदोन्नति संबंधित नियमावली/ आदेश निर्गत कर दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्र बनाते समय कुछ झोलमाल है एडेड संस्थानों में बढ़िया बिल्डिंग होने पर 300 से 400 की संख्या दी जाती है और जहां सेंटर नहीं बनने लायक है वहां हजार से ऊपर संख्या रहती है और हर बार जांच के नाम पर पैसे का बंदरबाट होता है। एरियर भुगतान जल्द से जल्द किए जाएं।

शिक्षक विधायक चंदेल ने इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक को शिक्षकों के साथ अभद्रता करने पर शासन से जांच करने पर सहमति बनी ।
शिक्षामित्र/अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाने पर तथा प्रत्येक वर्ष महंगाई के अनुसार मानदेय में वृद्धि किए जाने पर फार्मूला बनाने/निर्णय लेने का सदन में सहमत बनी। बैठक में अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षक विधायक चंद शर्मा ध्रुव कुमारत्रिपाठी, लाल बिहारी यादव सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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