कोलकाता1 मिनट पहले
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मूर्तिकार भास्कर साई के बनाए स्टैच्यू को बुधवार सुबह जूनियर डॉक्टर्स के प्रोटेस्ट मार्च के बाद अस्पताल में लगाया गया था।
कोलकाता के आरजी कर कॉलेज में रेप-मर्डर विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर का स्टैच्यू लगाया गया है। फाइबर ग्लास के बने इस स्टैच्यू को ‘अभया: क्राई ऑफ द आवर’ नाम दिया गया है। इसमें एक महिला को दर्द में चीखते हुए दिखाया गया है।
इस स्टैच्यू को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने इसे घटिया और ट्रेनी डॉक्टर की याद के लिए अपमानजनक बताया है। उन्होंने कहा कि ये अब तक की सबसे खराब चीज है।
वहीं, करीब दो महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि ये स्टैच्यू विक्टिम का नहीं है, बल्कि ये उस दर्द और टॉर्चर का प्रतीक है, जिससे वह गुजरी थी। यह स्टैच्यू हमारे प्रदर्शनों को भी दर्शाता है।
इस स्टैच्यू को महालया तिथि के दिन लगाया गया। ये बेहद शुभ तिथि मानी जाती है, जो सामान्य तौर पर दुर्गा पूजा के एक हफ्ते पहले पड़ती है।
कुणाल घोष का पूरा बयान पढ़ें… विक्टिम के नाम पर इस मूर्ति की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भावना के खिलाफ है। कोई जिम्मेदार व्यक्ति कला के नाम पर भी ऐसा नहीं कर सकता। विरोध और न्याय की मांगे ठीक हैं, लेकिन उस लड़की के दर्द भरे चेहरे वाली मूर्ति सही नहीं है। देश में ‘निग्रहिता’ (रेप विक्टिम) की तस्वीरों, मूर्तियों आदि को लेकर दिशानिर्देश हैं।
12 दिन बाद फिर हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर जूनियर डॉक्टर ने बुधवार को फिर से मार्च निकाला। ये विरोध मार्च कोलकाता में कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला तक निकाला गया।
जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए काम बंद कर दिया है। डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें पूरी तरह सुरक्षा दी जाए।
इससे पहले जूनियर डॉक्टर 10 अगस्त से लेकर 42 दिन तक विरोध प्रदर्शन करते रहे। 21 सितंबर को सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी पर वापस आए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को सुनवाई के दौरान अस्पतालों की सुरक्षा में कोताही पर ममता सरकार की खिंचाई की थी। साथ ही आदेश दिया कि सभी अस्पतालों में 15 दिन में CCTV लगाए जाएं।
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टर से रेप मर्डर के विरोध में ट्रेनी डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे थे।

जूनियर डॉक्टर बोले- ममता ने मीटिंग में किए वादों पर काम नहीं किया
विरोध प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर में से एक अनिकेत महतो ने हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा- हमारी सुरक्षा की मांगों को पूरा करने के लिए ममता सरकार का रवैया पॉजिटिव नहीं लग रहा है। आज 52वां दिन है। हम पर अभी भी हमले हो रहे हैं। CM ममता के वादों को पूरा करने का कोई प्रयास होता नहीं दिख रहा है। हमारे पास आज से पूरी तरह काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। जब तक हम राज्य सरकार की तरफ से कार्रवाई नहीं देखते, तब तक काम बंद रहेगा।
डॉक्टरों-नर्सों पर हमले हुए, इसी वजह से फिर शुरू की हड़ताल
दरअसल, कोलकाता के सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 27 सितंबर को एक मरीज की मौत के बाद 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया था। इसी घटना से जूनियर डॉक्टर्स नाराज हैं। डॉक्टर्स ने अस्पताल में प्रदर्शन भी किया। इस मामले में 4 प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। डॉक्टर्स की मांग है कि उन्हें अस्पतालों में सुरक्षा मुहैया कराई जाई, ताकि वे बिना डर के ड्यूटी कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट में कहा था- सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाएं जारी
सुप्रीम कोर्ट में 30 सितंबर की सुनवाई में बंगाल सरकार ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर्स इन पेशेंट डिपार्टमेंट और आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में काम नहीं कर रहे हैं। इसके जवाब में डॉक्टर्स के वकील ने कहा कि सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाओं में डॉक्टर काम कर रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। इस दिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नेशनल टास्क फोर्स की जांच पर रिपोर्ट पेश करनी होगी।

ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन टकराव चला था
डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें।
डॉक्टरों की मांग पर बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मनोज वर्मा ने पद संभाला। स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए।
19 सितंबर को डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर को हटाया गया है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है।

