नई दिल्ली/भुवनेश्वर2 मिनट पहले
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हाइपरसोनिक मिसाइलें 480 किलोग्राम के परमाणु हथियार या ट्रैडिशन हथियार कैरी कर सकती हैं।
डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने शनिवार रात लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की। इसका वीडियो शेयर करते हुए DRDO ने बताया कि ओडिशा के तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम आजाद द्वीप से मिसाइल को ग्लाइडेड व्हीकल से लॉन्च किया गया। मिसाइल की फ्लाइट ट्रेजेक्टरी की ट्रैकिंग के बाद टेस्टिंग सफल मानी गई है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह X पर पोस्ट करते हुए कहा- इस मिसाइल की सफल टेस्टिंग से भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जिसके पास ऐसी सैन्य तकनीक है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह देश के लिए एक ऐतिहासिक पल है।
लंबी दूरी की इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा है। इस मिसाइल से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से दुश्मन पर हमला किया जा सकता है। लॉन्च के बाद इसकी रफ्तार 6200 किलोमीटर प्रतिघंटे तक पहुंच सकती है, जो साउंड की स्पीड से 5 गुना ज्यादा है।
हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत
- हाइपरसोनिक मिसाइलों की सबसे खास बात ये है कि तेज स्पीड, लो ट्रैजेक्टरी यानी कम ऊंचाई पर उड़ान की वजह से इन्हें अमेरिका समेत दुनिया के किसी भी रडार से पकड़ पाना लगभग नामुमकिन है। इसी वजह से इन्हें दुनिया का कोई भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम मार नहीं सकता है।
- हाइपरसोनिक मिसाइलें कई टन परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं। ये मिसाइलें 480 किलोग्राम के परमाणु हथियार या ट्रेडिशनल हथियार ले जा सकती हैं। परमाणु हथियार रखने वाले देशों के लिए यह मिसाइल अहम मानी जाती है।
- अंडरग्राउंड हथियार गोदामों को तबाह करने में हाइपरसोनिक मिसाइलें सबसोनिक क्रूज मिसाइलों से ज्यादा घातक होती हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अपनी बेहद हाई स्पीड की वजह से हाइपरसोनिक मिसाइलें ज्यादा विध्वसंक होती हैं।
- हाइपरसोनिक मिसाइलें मेनुरेबल टेक्नोलॉजी यानी हवा में रास्ता बदलने में माहिर होती है। इससे ये जगह बदल रहे टारगेट को भी निशाना बना सकती हैं। इस क्षमता की वजह से इनसे बच पाना मुश्किल होता है।

हाइपरसोनिक मिसाइलों पर DRDO लंबे समय से काम कर रहा है
भारत भी कई वर्षों से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटा है। DRDO ने 2020 में एक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत HSTDV का इस्तेमाल करके अपनी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की ओर बढ़ रहा है।
साथ ही भारत रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-II मिसाइल के विकास में जुटा है, जोकि एक हाइपरसोनिक मिसाइल है। ब्रह्मोस-II की रेंज 1500 किमी तक होगी और स्पीड साउंड से 7-8 गुना ज्यादा (करीब 9000 किमी/घंटे) होगी। इसकी टेस्टिंग 2024 तक होने की उम्मीद है।
इनके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटे हैं। वहीं नॉर्थ कोरिया भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा कर चुका है।
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