33 मिनट पहले
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कहा जाता है कि एक समय में गोविंदा में इतना नेगेटिव एटीट्यूड था कि कई प्रोड्यसूर्स और डायरेक्टर ने उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया था। अब गोविंदा की फिल्म शोला और शबनम, आंखें जैसी फिल्में प्रोड्यूसर कर चुके पहलाज निहलानी ने कहा है कि वो बेहद इनसिक्योर थे और पैसों में उलझे रहते थे। यही वजह है कि उनमें एटीट्यूड आ गया था।
पहलाज निहलानी ने लर्न फ्रॉम द लीजेंड के पॉडकास्ट में गोविंदा पर बात करते हुए कहा है, ‘फिल्म आंधी तूफान के बाद मैं मिथुन चक्रवर्ती और शत्रुघ्न के साथ एक फिल्म बनाना चाहता था। लेकिन उस समय मिथुन और शत्रुघ्न 4-4 शिफ्ट करते थे। इस वजह से हमारी नहीं बनी। फिर रीक्कू राकेश, गोविंदा को मेरे पास लेकर आए। फोटोग्राफ भी लेकर आए, लेकिन मुझे पसंद नहीं आए। उसका लुक पसंद नहीं आया। अगले दिन वो मेरे पास वीडियो कैसेट लेकर आया, जिसमें उसके डांस थे। उस समय ब्रेक डांस माइकल जैक्सन की वजह से पॉपुलर थे। उसने मुझे कैसेट दिखाया, तो मैंने पूछा क्या-क्या आता है। मुझे उसका चेहरा पसंद नहीं था, लेकिन उसका डांस और एक्शन पसंद आया। मेरी स्टोरी पूरी एक्शन थी, तो मैंने उससे एक दिन मांगा। मैं लंदन जा रहा था, तो मैं उससे कहकर गया कि तुम अपनी तैयारी करो।’

आगे उन्होंने कहा, ‘लंदन में छुट्टियों के समय मैंने कहानी पूरी की। फिर मैंने उसमें डांस डाला। आज की डेट में उसके जितना टैलेंटेड कोई एक्टर नहीं है। हालांकि उस समय वो एडवोकेट के रोल में, इंसपेक्टर के रोल में फिट नहीं होता था, हाइट की वजह से। लेकिन अब वो स्टार हो गया, स्टार से तो कुछ भी करवा लो।’
गोविंदा के पास नहीं था काम- पहलाज निहलानी
बातचीत में पहलाज निहलानी ने आगे कहा, जब उसके पास काम नहीं था, जब शोला और शबनम हमने शुरू की तो उससे पहली बार कॉमेडी रोल करवाया। फिर जब काम नहीं था उसके बाद तब फिल्म आंखें करवाई। दोनों फिल्मों में एकदम अलग रोल था। फिल्म आंखें में हमने उसे दिलीप कुमार और महमूद की तरह दिखाना चाहा। आप फिल्म देखेंगे तो कहीं वो दिलीप कुमार जैसा लगेगा, कहीं महमूद जैसा।
जब पहलाज निहलानी से पूछा गया कि क्या गोविंदा के नेगेटिव एटीट्यूड की वजह से कई प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उनके साथ काम नहीं करना चाहते थे, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, जब सक्सेस मिलती है, तो आदमी हर दर्द सह लेता है, लेकिन जब सक्सेस की सीढ़ी से नीचे उतरते हैं तो तकलीफ होती है। गोविंदा में वो प्रॉब्लम शुरू से थी। क्योंकि वो खुद को इनसिक्योर मानता था। उसके पिता बहुत बड़े हीरो रहे हैं महबूब खान के। बड़ी-बड़ी पिक्चरें की, अच्छे प्रोड्यूसर भी रहे, नुकसान हुआ। इसके बाद उसने इतना दर्द सहा, बहुत सारी चीजें उसके हाथ से निकल गईं, स्ट्रगल करना पड़ा। वो सारी चीजें उसके अंदर थीं। वो इनसिक्योरिटी रहती हैं। उसे था कि कहीं से पैसे आ जाएं। उसके पास भाई-बहन की जिम्मेदारियां थीं। वो पैसे में उलझा रहता था, उसे करना भी सब था।
इस वजह से उसका एटीट्यूड ऐसा हो गया था। जब काम और प्रेशर बहुत हो जाता है, तो आप छोड़ नहीं सके, तो चीजें बढ़ गईं। फिर आदत बन गई, वहमी हो गया। जब नहीं चलता आदमी तो सब उसे डैमेज करते हैं, वर्ना गोविंदा जैसा हीरो ढूंढने पर नहीं मिलेगा।