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पोलारिस डॉन मिशन के 4 एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी पर लौटे:  ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की पानी में लैंडिंग, एंट्री के समय तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस था

पोलारिस डॉन मिशन के 4 एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी पर लौटे: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की पानी में लैंडिंग, एंट्री के समय तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस था


फ्लोरिडा2 मिनट पहले

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पोलारिस डॉन मिशन में स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल से एस्ट्रोनॉट्स गए थे। उन्होंने पानी में लैंडिंग की।

स्पेसएक्स का पोलारिस डॉन क्रू आज यानी, 15 सितंबर को पृथ्वी पर वापस लौट गया। ड्रैगन स्पेसक्रॉफ्ट ने दोपहर 1:06 बजे फ्लोरिडा के ड्राई टोर्टुगास कोस्ट पर लैंडिंग की।

पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार 27,000 Km प्रति घंटे थी। हवा से टकराने के कारण घर्षण पैदा हुई और तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

इलॉन मस्क की कंपनी के फाल्कन-9 रॉकेट से पोलारिस डॉन मिशन को 10 सितंबर को लॉन्च किया गया था। 5 दिन के इस मिशन में 4 एस्ट्रोनॉट जिस ऑर्बिट (1,408.1 km) में गए थे, उसमें 50 साल से ज्यादा समय से कोई एस्ट्रोनॉट नहीं गया।

पोलारिस डॉन मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से 10 सितंबर को लॉन्च किया गया था।

पोलारिस डॉन मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से 10 सितंबर को लॉन्च किया गया था।

मिशन का सबसे मुश्किल हिस्सा था लौटना

किसी भी स्पेस मिशन का सबसे मुश्किल हिस्सा पृथ्वी पर लौटना होता है। सुरक्षित रूप से घर पहुंचने के लिए, क्रू ड्रैगन कैप्सूल ने “डी-ऑर्बिट बर्न” शुरू किया। लगभग 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया।

हवा से टकराने के कारण घर्षण पैदा हुई और तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। 4-मीटर चौड़े ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के नीचे लगी हीटशील्ड एस्ट्रोनॉट्स को इस तापमान से सुरक्षित रखा। जैसे-जैसे स्पेसक्राफ्ट नीचे आया उसकी रफ्तार को धीमा किया गया।

इसकी रफ्तार को और ज्यादा धीमा करने के लिए पैराशूट खोले गए और पानी में लैंडिंग हुई। वहां एक स्पेशल बोट पर पहले से बचाव दल मौजूद है। एस्ट्रोनॉट्स को कैप्सूल से निकालने से पहले बचाव दल ने फाइनल सेफ्टी चैक करेगा, फिर उन्हें पानी से जमीन पर लेकर जाएगा।

लौटते समय स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।

लौटते समय स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1,900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।

पानी में लैंडिंग के बाद स्पेशल बोट पर मौजूद बचाव दल ने स्पेसक्राफ्ट को रेस्क्यू किया।

पानी में लैंडिंग के बाद स्पेशल बोट पर मौजूद बचाव दल ने स्पेसक्राफ्ट को रेस्क्यू किया।

700 km ऊपर दो एस्ट्रोनॉट ने स्पेसवॉक की

इस मिशन का मकसद पहली प्राइवेट एक्स्ट्राव्हीकलर एक्टिविटी (स्पेसवॉक) था। साथ ही इंसानी स्वास्थ्य से जुड़ी 36 रिसर्च और एक्सपेरिमेंट भी इस मिशन में किए गए। 12 सितंबर को 2 एस्ट्रोनॉट्स ने पृथ्वी से करीब 700 किलोमीटर ऊपर स्पेसवॉक कीं।

मिशन कमांडर जेरेड आइसेकमैन और मिशन स्पेशलिस्ट सारा गिलिस करीब 10 मिनट के लिए स्पेसवॉक के लिए बाहर निकले थे। स्पेसवॉक के बाद स्पेसक्राफ्ट के हैच को बंद कर दिया गया। स्पेसवॉक के समय स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार 25,000 किमी प्रति घंटा थी।

स्पेसवॉक के लिए सबसे पहले मिशन कमांडर जेरेड आइसेकमैन स्पेसक्राप्ट से बाहर निकले। उनके बाद मिशन स्पेशलिस्ट सारा गिलिस ने स्पेसवॉक की।

स्पेसवॉक के लिए सबसे पहले मिशन कमांडर जेरेड आइसेकमैन स्पेसक्राप्ट से बाहर निकले। उनके बाद मिशन स्पेशलिस्ट सारा गिलिस ने स्पेसवॉक की।

मिशन में ये एस्ट्रोनॉट्स शामिल…

फाल्कन-9 दुनिया का पहला ऑर्बिटल क्लास रीयूजेबल रॉकेट

फाल्कन-9 एक रीयूजेबल (दोबारा इस्तेमाल होने वाला), टू-स्टेज रॉकेट है, जिसे स्पेसएक्स ने पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे तक एस्ट्रोनॉट्स और पेलोड ले जाने के लिए बनाया है।

ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 7 एस्ट्रोनॉट को स्पेस में ले जाने में सक्षम है। यह इकलौता प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट है, जो इंसानों को स्पेस स्टेशन तक ले जाता है। 2010 में ड्रैगन की पहली टेस्ट फ्लाइट हुई थी।

पोलारिस प्रोग्राम: तीन प्लान्ड मिशन्स में से पहला है पोलारिस डॉन

पोलारिस डॉन, पोलारिस प्रोग्राम के तीन प्लान्ड मिशन्स में से पहला है। इसे जेरेड आइसेकमैन फंड कर रहे हैं। यदि सब कुछ प्लान के अनुसार हुआ तो तीसरी पोलारिस फ्लाइट स्टारशिप का पहला क्रूड मिशन होगा। स्टारशिप दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट है, जिसकी टेस्टिंग चल रही है।

खबरें और भी हैं…



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